देवी का मंदिर

देवी के‌ मंदिर में जाकर मांगा उनका आशीर्वाद
देवी माँ पलटकर बोलीं, वो देख पीछे‌ की‌ कतार
इन लोगों से क्या अलग है तुझमें, वो ढूंढकर लाएगा
तू खास है, साबित कर, फिर जो चाहे मिल जाएगा,

मैंने बोला परिश्रमी हूँ, मुझ जैसा कोई न आएगा
देवी बोलें बस एक गधा तुझपर हावी हो जाएगा

दिल का अच्छा हूँ, इतना कि किसी और में कैसे पाओगी
देवी बोलें कोयल की माँ कौवी को कैसे नकारूंगी

पीड़ा देखो, क्लेश ये, मुझ जितनी किसको आवश्यकता
वो पीछे, मरते बच्चे की माँ पर मुझ को‌ किया इशारा

भक्ति-प्रेम, ये मुझसे ज़्यादा कोई नहीं कर सकता है
इंसान छोड़, ये तो गली का कुत्ता भी कर सकता है

क्रोधित होकर बोला, बस मेरा ही इसपर हक है माँ
ये तो सब ही बोल गए, तुझपर मैं क्यों करूँ कृपा

परेशान मैं, हैरान मैं, बुद्धि को‌ कुछ समझ न आए
ऐसा क्या जो मेरे अलावा किसी में भी पाया न जाए
लंबे छोटे अमीर गरीब नर नारी जानवर पक्षी
विषय उठाऊँ स्पर्धा करूँ तो आगे तक लग जाए पंक्ति

हारा हुआ, पराजित हुआ, परीक्षा में विफल हुआ
अपने पीछे, अपने आगे, लंबी कतार को नतमस्तक
इस पंक्ति को इस पृथ्वी के आगे मैं शीश नवाता हूँ
मुझमें ऐसा कुछ खास नहीं, इस्तीफा देकर जाता हूँ

देवी को भी शीश नवाकर, मैं पंक्ति से अलग हटा
और अलग हटते ही मिला मुझको देवी का आशीर्वाद
आशीर्वाद में मुझे मिला धरती का सर्वश्रेष्ठ वरदान

।। स्वतंत्रता ।। 




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