भूमिका/ पृष्ठभूमि
करीब एक महीने पहले मैं अपने एक और लेख के लिए भारतीय नागरिकों की आयु सम्बन्धी आँकड़े फेसबुक से निकाल रहा था। पूरे आँकड़े जमा किये तो सोचा कि फेसबुक का कोई भी आँकड़ा पूरी जनसंख्या का तो नहीं हो सकता; जनगणना के आँकड़ों से तुलना करूँगा तो सही हो जाएगा। जनगणना की वेबसाइट से नागरिकों के आयु सम्बन्धी आँकड़े भी निकाले, पर पता चला कि वो भी बेकार ही हैं।
जनगणना २०११(2011) से जो आँकड़े मिले वे दर्शा रहे थे कि एक आयु विशेष के कितने लोग भारत में हैं, जैसे भारतीय जनगणना २०११(2011) के हिसाब से भारत में १७(17) वर्षीय नागरिकों की संख्या करीब २(2) करोड़ १२(12) लाख है, जबकि २० वर्षीय नागरिकों की संख्या २(2) करोड़ ८८(88) लाख है। ध्यान से आँकड़ों को देखा तो पता चला कि २७(27) और ३०(30), ३७(37) और ४०(40) वर्ष में भी यही रुख था; सँख्या असामान्य रूप से बढ़ रही थी। तब सोचा कि इसका भी विश्लेषण करना होगा (आखिर सरकारी काम है, यूँ ही भरोसा कर नहीं सकते :D)। एक आरेख बनाया जिसमें आयु के समक्ष नागरिकों की संख्या को रखा, तो असली कहानी सामने आई।
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जनगणना २०११ आरेख; हर आयु के समक्ष उस आयु के नागरिकों की संख्या को अंकित किया गया है। स्त्रोत: http:plot.ly |
इस आरेख में जो रेखा बहुत ज्यादा ऊपर नीचे हो रही है वह जनगणना के हिसाब से एक आयु विशेष के नागरिकों की संख्या है। जैसा कि आप देख सकते हैं, जनगणना हमें ये कहना चाहती है कि हर ५(5) साल के बाद भारत की जनसंख्या में एक अनपेक्षित उछाल आता है, जो कि कई बार उस आयु की असली जनसंख्या के दुगने के बराबर भी चला जाता है (असली जनसँख्या से मेरा मतलब उस रेखा से है जो लगभग सीधी ही चल रही है; उसपर आगे बात करूँगा)। अब ऐसा तो हो नहीं सकता कि लोगों में ५(5) साल के बाद ही बच्चे पैदा करने का जूनून जागता हो, तो आखिर ऐसे आँकड़ों का कारण क्या है?
विश्लेषण
आरेख को मैंने ध्यान से देखा तो एक प्रतिरूप(Pattern) दिखा जो कि हर १०(10) साल बाद दोबारा आ रहा था। उदाहरण के लिए हम ३०(30) वर्ष की आयु से शुरू करते हैं। ३०(30) वर्ष की असामान्य रूप से ऊँची संख्या के बाद ३१(31) पर एक तेज़ गिरावट आती है। ३२(32) पर एक मामूली उछाल(बाकी की तुलना में; है वो भी लाखों में ही) के बाद ३३(33) पर ये फिर से गिरता है। ३४(34) पर थोड़े उछाल के बाद ३५(35) पर एक लम्बी छलांग देखने को मिलती है, और इसके बाद ये फिर ३७(तक) गिरता है। ३८(38) पर फिर से एक मामूली उछाल और ३९(39) पर फिर से थोड़ा गिरने के बाद ४०(40) पर ये फिर से एक लम्बी छलांग मारकर रुकता है। ४०(40) के बाद आप देखेंगे तो लगभग वही रूप फिर देखने को मिलेगा।
परिणाम निकालने की कोशिश की जाए तो देखेंगे कि हर ५(5) की गुणक(Multiple) आयु पर लम्बे उछाल, और हर सम आयु (२ की गुणक) पर थोड़े छोटे उछाल देखने को मिलते हैं। यह देखने के लिए कि यह आरेख असल में होना कैसा चाहिए था, मैंने एक गतिमान औसत(Moving Average) रेखा भी इसके साथ ही अंकित करी, जिसको आप इसी आरेख के बीच में चलते हुए देख सकते हैं। इक्का दुक्का जगहों को छोड़ दें तो कोई भी जनसँख्या इस रेखा के आसपास भी नहीं है। थोड़ी गणित लगाकर पता लगा कि करीब २५(25) करोड़ लोग(देश की २०११ की जनसंख्या का २०%) ऐसे हैं जिनकी सही आयु शायद जनगणना के आँकड़ों में नहीं है, पर ऐसा है क्यों?
उतार-चढ़ाव का कारण
जिन लोगों ने परिणामों को ध्यान से पढ़ा होगा, वो शायद देखते ही समझ गए होंगे कि ऐसा केवल इसीलिये है क्योंकि ज़्यादातर लोगों के पास कोई आधिकारिक दस्तावेज़ हैं ही नहीं जिससे वो अपनी आयु जान पाएं, और ऐसे में लोग केवल अंदाजा लगाकर अपनी आयु जनगणना वालों को बता देते होंगे। अंदाज़े की शायद ये ख़ास बात है कि लोग हमेशा ५(5) या २(2) के गुणकों(multiples) में ही अंदाज़ा लगाते हैं, पर ये शायद हम सब की ही फितरत है। कम से कम मैं अपना बचपन याद करूँ तो जब टीवी बंद करने की बात होती थी तो मैं २(2) मिनट या ५(5) मिनट ही बोलता था, ३(3) मिनट नहीं। अंदाजा लगाने से मुझे दिक्कत नहीं है, पर देश की २०(20)% जनसंख्या को अपनी आयु ही नहीं मालूम होगी इसका अंदाज़ा मुझे कतई नहीं था। उल्लेखनीय है कि जनगणना में अगर आपको अपनी आयु नहीं बतानी है तो वो अलग से लिखा जाता है, और ऐसे लोगों की संख्या मात्र ४४(44) लाख(जनसंख्या का ०.३७%) है।
खैर, इससे इतना तो पता चल गया कि चीनी सामान की भाँति आप सरकारी आँकड़ों का भी आँख मूँद कर भरोसा नहीं कर सकते; ये कभी भी धोखा दे सकते हैं। अब जबकि मैंने आँकड़े ठीक कर लिए हैं, मैं चैन से अपने अगले लेख की तरफ बढ़ सकता हूँ, जो कि फेसबुक के आँकड़ों पर आधारित रहेगा। जल्दी ही वो भी आपको पढ़ने को मिलेगा, पढ़ियेगा जरूर।
--जय हिन्द, जय भारत--
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